Class 8 Hindi Sem 2 Chapter 2 Swadhyay
Class 8 Hindi Sem 2 Chapter 2 Swadhyay. નમસ્કાર મિત્રો આ પોસ્ટમાં તમે ધોરણ 8 સેમ 2 હિન્દી વિષયના એકમ 2 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 8 હિન્દી સેમ 2 એકમ 2 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.
कक्षा : 8
विषय : हिन्दी
एकम : 2. कच्छ की सैर
सत्र : द्वितीय
अभ्यास
प्रश्न 1. निम्नलिखित मुद्दों के संबंध में चार-पाँच वाक्य लिखिए :
(1) मरुभूमि / रेगिस्तान
उत्तर : जिस प्रदेश में दूर-दूर तक रेत ही रेत दिखाई देती है, उसे मरुभूमि या रेगिस्तान कहते हैं। मरुभूमि में वर्षा बहुत कम या बिलकुल नहीं होती। यहाँ पानी के लिए दूर-दूर तक भटकना पड़ता है। कहीं-कहीं ऐसे स्थान होते हैं जहाँ भूमि से पानी निकलता है। ऐसे स्थानों को मरु-उद्यान कहते हैं। मरुभूमि के लोग प्रायः ऊँट पर प्रवास करते हैं। इसलिए ऊँट को ‘रेगिस्तान का जहाज’ कहा जाता है।
(2) कच्छ के तीन बड़े शहर
उत्तर : मांडवी, भूज और मुन्द्रा ये कच्छ के तीन बड़े शहर हैं। मांडवी अत्यंत सुंदर बंदरगाह है। यह बड़ा प्राचीन नगर है। यहाँ राजमहल, पवनचक्कियाँ तथा समुद्रतट दर्शनीय हैं। भूज वैभवशाली नगर है। यहाँ आयना महल, प्रागमहल, हिलगार्डन, स्वामिनारायण मंदिर, हमीरसर (तालाब), भूजिया पहाड़ आदि दर्शनीय स्थान हैं। मुन्द्रा में अनेक उद्योगों का विकास हुआ है। यहाँ कई प्राचीन इमारतें हैं।
(3) कच्छ में स्थित धार्मिक स्थल
उत्तर : भद्रेश्वर, नारायण सरोवर, लखपत तथा हाजीपीर ये कच्छ के मुख्य धार्मिक स्थल हैं। भद्रेश्वर प्राचीन जैन यात्राधाम है। यहाँ संगमरमर से बना 2500 वर्ष पुराना जिनालय भूकंप से खंडित हो गया था। अब आधुनिक ढंग से उसका पुनःनिर्माण किया जा रहा है। नारायण सरोवर पौराणिक धार्मिक स्थान है। यह रामायण काल का माना जाता है। लखपत में शीखों का गुरुद्वारा है। हाजीपीर मुसलमानों का पवित्र स्थान है।
(4) कच्छ के ऐतिहासिक स्थल
उत्तर : सामखीयाली के उत्तर में धोलावीरा एक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ भारत की अतिप्राचीन मोहन-जो-दड़ो संस्कृति के अवशेष पाए जाते हैं। लखपत गुरु नानक की स्मृति से जुड़ा प्राचीन स्थल है। किसी समय यह एक समृद्ध नगर था। यहाँ का किला पुराने इतिहास की याद दिलाता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(1) आप अपनी पाठशाला में से किसी यात्रा पर गए हों, तो उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर : पिछले वर्ष दीपावली की छुट्टियों में हमारी पाठशाला की तरफ से माउट आबू के प्रवास का आयोजन किया गया था। प्रवास में 45 विद्यार्थी और 3 शिक्षक थे।
आबू रोड़ तक की यात्रा हमने ट्रेन से की। आबू रोड़ से माउंट आबू जाने के लिए हम राजस्थान परिवहन निगम की बस में सवार हुए। बस का मार्ग घुमावदार था। बस की गति भी बहुत धीमी थी। दोनों ओर भयानक खाइयाँ थीं। लेकिन हरियाली और ठंडे पवन के झोंके सुख दे रहे थे।
बहुत ऊँचाई पार करने के बाद हमारी बस रघुनाथ मंदिर के पास खड़ी हो गई। उस समय सुबह के दस बज रहे थे। उस समय वहाँ बड़ी चहल-पहल थी। सड़कों पर मेटाडोर, जीपें और कारें दौड़ रही थीं। जगह-जगह टूरिस्ट गाइड-सेंटरों, होटलों और यात्री-आवासों के साइन बोर्ड लगे हुए थे। हम पहले से ही आरक्षित एक लॉज में उतरे। दो कमरे थे जिनमें आधुनिक सभी सुविधाएँ थीं।
भोजन और विश्राम के बाद हम ऐतिहासिक देलवाड़ा मंदिर देखने गए। वहाँ की कला देखकर हम दंग रह गए। देवरानी-जेठानी मंदिर सचमुच बहुत सुंदर हैं। उनकी नक्काशी और शिल्प की बारीकी देखनेलायक है।
अगले दिन हमने टोड रॉक और पोलो ग्राउंड देखा। फिर हम वशिष्ठाश्रम गए। अचल गढ पर स्थित भतृहरी की गुफा देखी। हम अर्बुदा देवी के मंदिर भी गए। नखी तालाब में हमने नौकाविहार का मजा लूटा। एक दिन हमने आबू के सबसे ऊँचे गुरुशिखर पर दत्तात्रेय के पद-चिह्नों के दर्शन किए। वहाँ के ऊँचे विशाल घंट को बजाया और उसकी मधुर ध्वनि का आनंद लिया। हमने वहाँ के ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विद्यालय की भी मुलाकात ली।
हम वहाँ तीन दिन रहे। सबने मिलकर खूब आनंद किया। उस प्रवास की यादें अभी तक मेरे मन में ताजा है।
(2) आपने की हुई किसी यात्रा का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर :
14, सद्गुरु सोसायटी,
भक्तिनगर,
अहमदाबाद 380007.
20 नवंबर, 2020
प्रिय मित्र आरुषि,
सप्रेम नमस्कार।
आज सुबह ही तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर बहुत खुशी हुई कि तुम्हारी माताजी अब पूरी तरह स्वस्थ हो गई हैं।
हम दस दिन पहले कश्मीर-दर्शन के लिए गए थे। दो दिन पहले ही वहाँ से लौटे हैं। पहले हम नैनीताल गए थे। उसके बारे में जैसा सुना था, वैसा ही पाया ! उसकी परिक्रमा करने में सचमुच बड़ा मजा अया। हम नयनादेवी के दर्शन करने गए। देवी की सुंदर मूर्ति ऐसी लगी जैसे अभी बोल उठेगी।
फिर हम श्रीनगर गए। सचमुच सुंदर नगर है। हमने सारा नगर घूमकर देखा। डलझील की सुंदरता ने हमारा मन मोह लिया। उसमें हमने शिकारे में बैठकर जलविहार का आनंद लिया। वूलर और मानसबल झीलें भी हमें बहुत अच्छी लगीं, लेकिन वे डल का मुकाबला तो नहीं कर सकतीं। श्रीनगर और पहलगाँव के बीच केसर की क्यारियों से आ रही खुशबू ने हमें मदमस्त कर दिया। शालीमार और निशातबाग में घूमते हुए हमें स्वर्ग के नंदनवन में घूमने के जैसा आनंद आया।
मैंने वहाँ के कई स्थानों के फोटो लिए हैं। कुछ फोटो तुम्हें भेज रहा हूँ। शेष मिलने पर।
तुम्हारा मित्र,
आलोक
प्रश्न 3. दिए गए शब्द मिलें ऐसी पहेलियों का निर्माण कीजिए :
(1) सितारा
उत्तर : आकाश में रहता हूँ,
रातभर चमकता हूँ
दिन में छिप जाता हूँ,
सूर्यास्त होने के बाद, फिर निकल आता हूँ
चमचम चमकता हूँ, रहता हूँ मौन ।
प्यारे बच्चों बतलाओ, मैं हूँ कौन?
(2) हाथी
उत्तर : गणपति जैसा मुँह है मैरा
काया खूब विशाल।
सबसे बड़ा जानवर हूँ मैं,
मस्त है मेरी चाल।
(3) चिराग
उत्तर : मेरे रहने पर
अँधेरे की नहीं चल पाती।
मेरे दो साथी हैं
तेल और बाती।
(4) पाठशाला
उत्तर : ज्ञान का मंदिर हूँ,
सरस्वती का घर हूँ।
आओगे यदि मेरे पास,
पाओगे विद्या का प्रकाश।
स्वाध्याय
प्रश्न 1. दिए गए शब्दों को शब्दकोश के क्रम में लिखिए :
अभ्यास, विनय, संध्या, प्रगति, अभिवादन,
महकना, संग्राम, शायर, हमदर्द, चिराग।
उत्तर : अभिवादन, अभ्यास, चिराग, प्रगति, महकना, विनय, शायर, संग्राम, संध्या, हमदर्द।
प्रश्न 2. इस पाठ में आए प्रशासकीय शब्दों की सूची बनाकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :
उत्तर :
(1) अधीक्षक (Superintendent) : मैं थाने में जाकर अधीक्षक से मिला।
(2) प्रभाग (Division) : फिल्म-प्रभाग आज बंद था।
(3) वरिष्ठ (Senior) : वे यहाँ वरिष्ठ अभियंता हैं।
(4) कनिष्ठ (Junior) : कनिष्ठ अधिकारी योग्य व्यक्ति है।
(5) सचिव (Secretary) : मंत्री ने अपने सचिव को बुलाया।
प्रश्न 3. नीचे दिए गए विशेषणों का वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) दयावान
वाक्य : राजा बहुत दयावान था।
(2) मूल्यवान
वाक्य : समय सबसे मूल्यवान वस्तु है।
(3) कृपालु
वाक्य : संत कृपालु होते हैं।
(4) थोड़ा-सा
वाक्य : दाल में थोड़ा-सा नमक ज्यादा है।
(5) अच्छा
वाक्य : मोहन एक अच्छा लड़का है।
(6) सुंदर
वाक्य : उद्यान में सुंदर फूल खिले हैं।
(7) प्रिय
वाक्य : गुलाब मेरा प्रिय पुष्प है।
प्रश्न 4. दिए गए परिच्छेद का हिन्दी में अनुवाद कीजिए :
હિરણ નદીની પશ્ચિમ બાજુએ સૂરજદાદા વિદાય લઈ રહ્યા છે. સંધ્યાટાણે પંખીઓનાં ટોળાં પોતાના માળા ભણી ઊડી રહ્યાં છે. ભેંસોનું ખાડુ અને ગાયોનાં ધણ પણ પોતાના માલિકના ઘર ભણી વળી રહ્યાં છે ત્યારે ઝરમર ઝરમર વર્ષાની શરૂઆત થઈ. સૌ અસહ્ય ગરમીની પીડામાંથી મુક્તિનો આનંદ લઈ રહ્યાં હતાં. માત્ર માનવ જ નહીં, પશુ-પક્ષી અને જીવજંતુ પણ શાતા અનુભવવા લાગ્યાં.
उत्तर : हिरण नदी की पश्चिम की तरफ सूरजदादा विदा ले रहे हैं। संध्या के समय पक्षियों की टोलियाँ अपने घोंसलों की ओर उड़ रही हैं। भैंसों का झुंड और गायों का समूह अपने मालिक के घर की तरफ लौट रहा है। उस समय रिमझिम-रिमझिम वर्षा शुरू हुई। लोग असह्य गर्मी की पीड़ा से मुक्ति का आनंद ले रहे थे। केवल मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी और जीवजंतु भी शांति का अनुभव करने लगें।
प्रश्न 5. अपूर्ण कहानी को पूर्ण कीजिए :
एक गाँव था। उस गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उनके दो बेटे थे, बड़े का नाम रामू और छोटे का नाम…….
उत्तर : एक गाँव था। उस गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उनके दो बेटे थे, बड़े का नाम रामू और छोटे का नाम लखन था।
रामू को खेल-कूद का शौक था। उसे निशानेबाजी में भी बहुत रुचि थी। बड़ा होकर वह भारतीय सेना में भर्ती हो गया। छोटे बेटे लखन को खेती-बारी का शौक था। उसने खेती की जिम्मेदारी संभाली और एक समृद्ध किसान बन गया।
भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। रामू ने बड़ी बहादुरी दिखाई। उसने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए। लड़ाई खत्म होने पर सरकार ने उसे वीर-चक्र प्रदान किया। सेना में उसे ऊँचा पद दिया गया।
अब किसान बहुत खुश है। उसके बेटों ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा सार्थक कर दिखाया है।
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