Class 8 Hindi Sem 1 Chapter 9 Swadhyay (ધોરણ 8 હિન્દી સેમ 1 એકમ 9 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

Class 8 Hindi Sem 1 Chapter 9 Swadhyay
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Class 8 Hindi Sem 1 Chapter 9 Swadhyay. ધોરણ 8 સેમ 1 હિન્દી વિષયના એકમ 9 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 8 હિન્દી સેમ 1 એકમ 9 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 8

विषय : हिन्दी

एकम : 9. ममता

सत्र : प्रथम

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) प्रसादजी ने ‘ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति किसे कहा?

उत्तर : काशी के उत्तर में धर्मचक्र विहार था। उसे मौर्य और गुप्त सम्राटों ने बनवाया था। वह उनकी कीर्ति का प्रतीक था, लेकिन अब वह खंडहर हो चुका था। उस भवन के शिखर खंडित हो चुके थे और अब वहाँ घास और झाड़ियाँ उग आई थीं। फिर भी उन टूटी हुई दीवारों और ईंटों में भारतीय शिल्पकला की भव्य झलक देखी जा सकती थी। इसे ही प्रसादजी ने ‘ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति’ कहा है।

(2) शहंशाह हुमायूँ के आदेश का किस प्रकार पालन हुआ? वह सही था या गलत? अपने विचार स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर : शहंशाह हुमायूँ ने मुसीबत में ममता की झोंपड़ी में आश्रय लिया था, इसलिए उसकी जगह पक्का घर बनवा देने का आदेश दिया था। हुमायूँ के बाद उसका बेटा अकबर शहंशाह बना। उसने उस झोंपड़ी की जगह एक अष्टकोणीय मंदिर बनवाया। उस गगनचुंबी विशाल मंदिर में एक शिलालेख पर उसके निर्माता शहंशाह अकबर और अपने पिता हुमायूँ का नाम अंकित था। ममता का कहीं नाम तक नहीं था। पिता का स्मारक बनवाकर अकबर ने सारा श्रेय खुद लेना चाहा। दया की जिस देवी ममता ने उसके पिता को शरण दी थी, उसकी अकबर ने जरा भी परवाह नहीं की।

(3) कहानी के आधार पर मुख्य पात्र ममता के बारे में कहिए ।

उत्तर : ममता एक विधवा ब्राह्मण युवती थी । लोभ उसे छू तक न गया था। उसने स्वर्ण रूप में शेरशाह द्वारा दिया हुआ उत्कोच ठुकरा दिया था। उसे ईश्वर, धर्म और हिन्दू जाति पर पूरा भरोसा था। ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध व्यवहार करना उसे पसंद नहीं था । वह गीता का पाठ करती थी। अतिथि को आश्रय देना वह अपना धर्म समझती थी। उसके उज्ज्वल चरित्र और स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह आसपास के गाँवों की स्त्रियों में लोकप्रिय बन गई थी ।

(4) ‘ममता’ कहानी के अंतिम वाक्य को हटाकर कहानी का अंत अपने अनुसार कहिए ।

उत्तर : वहाँ एक अष्टकोण मंदिर बना और उस पर शिलालेख लगाया गया-

“यह वह स्थान है, जहाँ किसी समय ‘ममता’ नामक एक दयालु स्त्री की झोंपड़ी थी । विपत्ति के समय उस महिला ने शहंशाह हुमायूँ को एक रात उस झोंपड़ी में आश्रय दिया था। हुमायूँ के पुत्र अकबर ने अपने पिता को आश्रय देनेवाली दया की उस देवी ममता की स्मृति में यह मंदिर बनवाया। “

स्वाध्याय

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) ममता को प्रत्येक लड़नेवाले सैनिक से नफरत क्यों थी?

उत्तर : विधर्मी शेरशाह के आततायी सैनिकों ने ममता के पिता का वध किया था। उसी घटना के कारण ममता को प्रत्येक लड़नेवाले सैनिक से नफरत थी ।

(2) ममता की झोंपड़ी में आश्रय माँगने कौन आया?

उत्तर : चौसा युद्ध में शेरशाह से विपन्न होकर शहंशाह हुमायूँ आश्रय माँगने के लिए ममता की झोंपड़ी में आया ।

(3) अकबर ने अष्टकोण मंदिर कब और कहाँ बनवाया?

उत्तर : ममता ने थके, हारे और भयभीत हुमायूँ को रात में अपनी झोंपड़ी में आश्रय दिया था। उसकी उदारता के कारण ही हुमायूँ के प्राणों की रक्षा हुई थी । वहाँ से लौटते समय हुमायूँ ने अपने साथी मिरज़ा को उस विधवा की झोंपड़ी के स्थान पर नया घर बनवाने का आदेश दिया था। बरसों बाद जब हुमायूँ का पुत्र अकबर बादशाह बना तो उसे उस घटना का पता चला। उसने सोचा कि जिस जगह उसके पिता के प्राणों की रक्षा हुई थी, वहाँ एक स्मारक बनाना चाहिए। इस प्रकार पिता की याद में ममता की झोंपड़ी की जगह अकबर ने सैंतालीस वर्षों के बाद अष्टकोण मंदिर बनवाया।

(4) घोड़े पर सवार होते हुए पथिक ने मिरज़ा से क्या कहा?

उत्तर : घोड़े पर सवार होते हुए पथिक ने मिरज़ा से कहा कि उस स्त्री को मैं कुछ दे नहीं सका। इस स्थान पर उसका पक्का घर बनवा देना, क्योंकि मैंने विपत्ति में यहाँ विश्राम पाया है।

(5) किस बात से पता चलता है कि ममता सबके सुख-दुःख की सहभागिनी थी?

उत्तर : गाँव की दो-तीन स्त्रियाँ वृद्धा और जर्जर शरीरवाली ममता की सेवा कर रही थीं। इससे पता चलता है कि ममता गाँववालों के सुख-दुःख की सहभागिनी थी।

प्रश्न 2. दिए गए वाक्यों का परिवर्तन निर्देशानुसार भिन्न-भिन्न कालों में कीजिए :

(1) तेनालीराम के बारे में अनेक कहानियाँ प्रचलित हैं। (भूतकाल)

उत्तर : तेनालीराम के बारे में अनेक कहानियाँ प्रचलित थीं।

(2) सुबह होने पर हिना अपने बेटे को साथ लेकर उद्यान में गई। (भविष्यकाल)

उत्तर : सुबह होने पर हिना अपने बेटे को साथ लेकर उद्यान में जाएगी।

(3) प्रिया का गृहकार्य जल्दी समाप्त हो गया। (भविष्यकाल)

उत्तर : प्रिया का गृहकार्य जल्दी समाप्त हो जाएगा।

(4) हर्ष आज उपवास करेगा। (भूतकाल)

उत्तर : हर्ष ने आज उपवास किया।

(5) मनोज अक्सर जागता रहता था। (वर्तमानकाल)

उत्तर : मनोज अक्सर जागता रहता है।

प्रश्न 3. शब्दों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

(1) दुहिता = पुत्री

वाक्य : सीता जनक की दुहिता थी ।

(2) वेदना = पीड़ा, दर्द

वाक्य : औषधि से मेरी वेदना दूर हो गई ।

(3) उत्कोच = रिश्वत

वाक्य : सरकारी पद पर रहकर उसने कभी उत्कोच नहीं लिया।

(4) जीर्ण = पुराना, फटा

वाक्य : कीमती वस्त्र पहननेवाली महिला अब जीर्ण वस्त्र पहनती थी ।

(5) आततायी = अत्याचारी

वाक्य : आततायी शांति और प्रेम की भाषा नहीं जानता।

प्रश्न 4. नीचे लिखी कहानी एकवचन में है। इसे बहुवचन में लिखकर उच्च स्वर में पढ़िए :

एक चिड़िया पेड़ पर रहती थी। उसका घोंसला जंगल के पास था। घोंसले में उसके तीन बच्चे थे। वह अपने बच्चों के साथ रहती थी। एक दिन एक शिकारी वहाँ आया। वह चिड़िया को मारना चाहता था। चिड़िया ने बच्चों को घोंसले में सिर नीचा कर बैठने को कहा। वह खुद वहाँ से उड़ गई और पत्तों में छिपकर बैठ गई। शिकारी चिड़िया को न देख वहाँ से चला गया।

उत्तर : अनेक चिड़ियाँ पेड़ पर रहती थीं। उनके घोंसले जंगल के पास थे। घोंसलों में उनके तीन बच्चे थे। वे अपने बच्चों के साथ रहती थीं। एक दिन कई शिकारी वहाँ आए। वे चिड़ियों को मारना चाहते थे। चिड़ियों ने बच्चों को घोंसलों में सिर नीचे कर बैठने को कहा। वे खुद वहाँ से उड़ गईं और पत्तों में छिपकर बैठ गईं। शिकारी चिड़ियों को न देख वहाँ से चले गए।

प्रश्न 5. नीचे शरीर के कुछ अंगों के चित्र दिए गए हैं। प्रत्येक अंग से संबंधित तीन-तीन मुहावरे अर्थ सहित लिखें और वाक्य में प्रयोग करें :

उत्तर :

(1) आँख

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(1) आँख आना = आँख लाल होकर उसमें पीड़ा होना

वाक्य : आजकल शहर में आँखें आने की बीमारी फैली हुई है।

(2) आँख जाना – अंधा होना

वाक्य : आँखें जाने से वह पढ़ाई न कर सका।

(3) आँखें फेरना – उपेक्षा करना

वाक्य : समय बुरा आने पर मित्र भी आँखें फेर लेते हैं।

(2) कान

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(1) कान देना = ध्यान से सुनना

वाक्य : कृपया आप कान देकर मेरी बातें सुनें।

(2) कान खाना – बकबक करना

वाक्य : आप पहले इसकी बात सुन लीजिए, यह काफी देर से कान खा रहा है।

(3) कान खड़े करना – चौकन्ना होना, सावधान होना

वाक्य : गोली की आवाज सुनते ही हिरन के कान खड़े हो गए।

(3) सिर

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(1) सिर उठाना = बगावत करना

वाक्य : राजा कमजोर हुआ तो सामंत सिर उठाने लगे।

(2) सिर नीचा होना = लज्जित होना, पराजित होना

वाक्य : चोरी पकड़ी जाने पर नौकर का सिर नीचा हो गया।

(3) सिर पकड़कर बैठना = पछताना

वाक्य : मौके का फायदा न उठा पानेवाले ही अंत में सिर पकड़कर बैठते हैं।

(4) हाथ

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(1) हाथ आना = मिलना

वाक्य : कई दिनों के बाद एक अच्छा मौका हाथ आया है।

(2) हाथ मलना = पछताना

वाक्य : अवसर चूक गए तो हाथ मलते रहोगे।

(3) हाथ फैलाना = मदद माँगना

वाक्य : हे ईश्वर, मुझे कभी किसीके सामने हाथ न फैलाना पड़े।

प्रश्न 6. निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखिए।

एक निर्दयी राजा – गुलाम को दंड – गुलाम का जंगल में भाग जाना – सिंह से भेंट – सिंह के पैर से काँटा निकालना – मित्रता – गुलाम की गिरफ्तारी – मौत की सजा – उसे भूखे सिंह के सामने छोड़ना – सिंह का स्नेहपूर्ण व्यवहार – दोनों की रिहाई -सीख ।

उत्तर :

कृतज्ञता अथवा सिंह और गुलाम

ग्रीस देश का एक राजा बहुत निर्दयी था। उसके यहाँ अनेक गुलाम थे। वह उनसे सख्त मजदूरी करवाता था।

एक बार एक गुलाम ने चोरी से एक फल खा लिया। गुलाम अभी लड़का ही था, फिर भी राजा ने उसे कठोर दंड देने का निश्चय किया। दंड के भय से वह गुलाम जंगल में भाग गया। वहाँ एक झाड़ी में छिपकर बैठ गया।

झाड़ी में बैठे गुलाम लड़के ने एक सिंह के कराहने की आवाज सुनी। लड़का झाड़ी से निकलकर सिंह के पास आया। उसे लगा कि सिंह के पैर में कुछ तकलीफ है। उसने सिंह के पैर का दायाँ पंजा उठाकर देखा। उसमें एक बड़ा काँटा घुस गया था। लड़के ने धीरे से वह काँटा निकाल दिया। सिंह की पीड़ा दूर हो गई। इसके बाद दोनों में मित्रता हो गई।

गुलाम लड़के को पकड़ने के लिए राजा के सिपाही चारों ओर घूम रहे थे। उन्होंने लड़के को जंगल में देख लिया। वे उसे गिरफ्तार कर राजा के सामने ले गए। राजा ने लड़के को मौत की सजा सुनाते हुए कहा, “इसे भूखे सिंह के सामने डाल दिया जाए।

जंगल से सिंह को पकड़कर लाया गया। उसे कई दिनों तक भूखा रखा गया। फिर एक दिन लड़के को उसके पिंजड़े में बंद कर दिया। भूखा सिंह उस लड़के को खाने के लिए झपटा, परंतु एकदम रुक गया। वह उस लड़के के पैर चाटने लगा। वास्तव में यह वही सिंह था, जिसके पैर से उस लड़के ने काँटा निकाला था।

लड़के के प्रति सिंह के स्नेहपूर्ण व्यवहार ने सबको चकित कर दिया। राजा भी इससे बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा, “जब जंगल का राजा इस लड़के के प्रति दयालु है, तो मुझे भी इस पर दया करनी चाहिए।” ऐसा सोचकर उसने लड़के को क्षमा कर दिया। उसने सिंह और लड़के को गुलामी के बंधन से मुक्त कर दिया।

सीख : सचमुच, खूंखार पशु भी अपने साथ किए गए उपकार को नहीं भूलते।

प्रश्न 7. चित्र के आधार पर कहानी लिखिए :

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उत्तर :

पुराने समय में आज की तरह आने-जाने के साधन न थे। साधारण लोग पैदल ही यात्रा करते थे। उन्हीं दिनों की यह घटना है।

एक बुढ़िया लकड़ी टेकती हुई किसी काम से दूसरे गाँव जा रही थी। गर्मी के दिन थे। दोपहर होते-होते धूप तेज हो गई। बुढ़िया को जोर की प्यास लगी। थकावट और प्यास के कारण वह आगे न चल पाईं और रास्ते के किनारे एक पेड़ के नीचे बैठ गई। आते-जाते लोगों से वह पानी माँगती थी, पर उस प्यासी बुढ़िया पर किसी को तरस न आया।

एक बालक ने उस बुढ़िया की आवाज सुनी। उसका घर पास में ही था। वह दौड़कर घर से लोटा भरकर पानी ले आया। बुढ़िया ने पानी पिया। उसकी जान में जान आई। बालक आग्रह करके बुढ़िया को अपने घर ले गया और चारपाई पर बिठाया। बुढ़िया को बहुत आराम मिला। उसने लड़के को अपनी बाँहों में ले लिया और बोली, “तू सचमुच बहुत अच्छा बच्चा है। “

प्रश्न 8. नीचे दिए गए शब्दों में से संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण पहचानकर वर्गीकृत कीजिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :

(हिमालय, मुझे, खट्टा, तुम्हें, बड़ौदा, सपना, साबरमती, सुंदर, छोटा, होशियार, हमारा, गुजरात)

उत्तर :

संज्ञा : हिमालय, बड़ौदा, सपना, साबरमती, गुजरात

सर्वनाम : मुझे, तुम्हें, हमारा

विशेषण : खट्टा, सुंदर, छोटा, होशियार

वाक्य :

(1) हिमालय : हिमालय विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत है।

बड़ौदा : बड़ौदा गुजरात का एक बड़ा शहर है।

सपना : सपना अच्छी लड़की है

साबरमती : अहमदाबाद साबरमती नदी के किनारे बसा है।

गुजरात : हमारे प्रदेश का नाम गुजरात है।

(2) मुझे : मुझे अपना देश अच्छा लगता है।

तुम्हें : माँ तुम्हें बुला रही है।

हमारा : भारत हमारा देश है।

(3) खट्टा : वह आम खट्टा है।

सुंदर : यह स्थान बहुत सुंदर है।

छोटा : मोहन छोटा लड़का है।

होशियार : होशियार लड़के कभी पीछे नहीं रहते।

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