Class 7 Hindi Sem 1 Chapter 8 Swadhyay (ધોરણ 7 હિન્દી સેમ 1 એકમ 8 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

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Class 7 Hindi Sem 1 Chapter 8 Swadhyay
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Class 7 Hindi Sem 1 Chapter 8 Swadhyay. ધોરણ 7 સેમ 1 હિન્દી વિષયના એકમ 8 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 7 હિન્દી સેમ 1 એકમ 8 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 7

विषय : हिन्दी

एकम : 8. दोहा अष्टक

सत्र : प्रथम

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दीजिए :

(1) बड़े लोगों की संकुचित मनःस्थिति व्यक्त करने के लिए खजूर के पेड़ का उदाहरण क्यों दिया गया है?

उत्तर : खजूर का पेड़ बड़ा तो होता है, पर उससे पथिक को न छाया मिलती है, न उसके फल मिलते हैं। उसी तरह बड़े लोगों की मनोवृत्ति संकुचित होती है। उनसे दूसरों को कोई लाभ नहीं होता ।

(2) साधु पुरुष कैसा होना चाहिए? क्यों?

उत्तर : साधु पुरुष सूप के स्वभाववाला होना चाहिए, क्योंकि सूप सारयुक्त वस्तु (अच्छा अनाज) ग्रहण कर निस्सार वस्तु (कचरा) को बाहर फेंक देता है।

(3) तुलसीदास सबसे हिल मिलकर रहने को क्यों कहते हैं?

उत्तर : तुलसीदास सबसे हिल-मिलकर रहने को कहते हैं, क्योंकि उससे हमें सुख, शांति और सुरक्षा मिलती है।

(4) आप गरीब लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं?

उत्तर : हम गरीब लोगों के बच्चों को पढ़ाकर उनकी मदद कर सकते हैं। हम पढ़ाई में आनेवाली उनकी समस्याएँ दूर करें।

(5) सज्जन लोग अपनी संपत्ति का उपयोग कैसे करते हैं?

उत्तर : सज्जन लोग दूसरों का भला करने में अपनी संपत्ति का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 2. नीचे दिए गए शब्दों में विलोम शब्दों के सही जोड़े बनाइए और उदाहरण के अनुसार वाक्य में प्रयोग कीजिए :

आदर, स्वकाज, बुरा, परकाज, प्रेम, नजदीक, नफरत, मृत, अच्छा, अनादर, जीवित, छोटा, दूर, बड़ा, असत्य, सत्य ।

उदाहरण : सत्य – असत्य

(1) सत्य – गांधीजी सत्य बोलते थे।

(2) असत्य – हमें असत्य नहीं बोलना चाहिए।

उत्तर :

(1) आदर = अनादर

आदर = हमें बड़ों का आदर करना चाहिए।

अनादर = हमें किसीका अनादर नहीं करना चाहिए।

(2) स्वकाज = परकाज

स्वकाज = मैं यहाँ स्वकाज के लिए आया था।

परकाज = सज्जन लोग परकाज के लिए धन का संग्रह करते हैं।

(3) बुरा = अच्छा

बुरा = उसे अपने कर्मों का बुरा फल भुगतना पड़ा।

अच्छा = उसने यहाँ अच्छा नाम कमाया।

(4) प्रेम-नफरत

प्रेम = हम सबसे प्रेम करें।

नफरत = संत पुरुष किसीसे नफरत नहीं करते।

(5) नजदीक = दूर

नजदीक = बाजार मेरे घर के नजदीक है।

दूर = पाठशाला मेरे घर से दूर है।

(6) मृत = जीवित

मृत = उस दुर्घटना में कई लोग मृत पाए गए।

जीवित = मलबे में से कई लोग जीवित निकले।

(7) छोटा = बड़ा

छोटा = हमारा घर छोटा है।

बड़ा = वह बड़ा आदमी है।

प्रश्न 3. अंदाज अपना-अपना

कभी-कभी कुछ इलाकों में बारिश बिलकुल भी नहीं होती। नदी-नाले, तालाब सूख जाते हैं। फसलों के लिए पानी नहीं मिलता। खेत सूख जाते हैं। पशु-पक्षी, जानवर और लोग भूखे मरने लगते हैं। ऐसे समय में वहाँ रहनेवाले लोगों को मदद की जरूरत होती है। तुम भी लोगों को मदद कर सकते हो। सोचकर बताओ तुम अकाल में परेशान लोगों की मदद कैसे करोगे?

उत्तर : हम अकालग्रस्त लोगों के लिए धन इकट्ठा करेंगे। उस धन से हम अनाज तथा दूसरी जरूरी चीजें खरीदकर उन्हें देंगे। हम टैंकर मँगवाकर अकालग्रस्तों को पानी सुलभ कराएँगे। हम उनके जानवरों के लिए चारें की व्यवस्था करेंगे।

प्रश्न 4. निम्नलिखित दोहों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए :

(1) साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय ।

सार-सार को गहि रहे, थोथा देई उड़ाय ।।

उत्तर : कबीरजी कहते हैं कि साधु का वेश धारण करने से ही कोई साधु नहीं बन जाता। साधु वह है जिसकी बुद्धि शुद्ध हो, जिसमें विवेक हो। साधु का स्वभाव सूप के समान होना चाहिए। सूप अनाज को अपने पास रख लेता है और कचरे को बाहर फेंक देता है। सच्चा साधु भी ज्ञान की बातें ग्रहण करता है और व्यर्थ की बातों में वह दिलचस्पी नहीं लेता।

(2) तुलसी हाय गरीब की, कबहूँ न खाली जाय ।

मुए ढोर के चाम से, लौह भस्म हो जाय ।।

उत्तर : तुलसीदासजी कहते हैं कि गरीब को कभी नहीं सताना चाहिए। गरीब की हाय (बद्दुआ) लेने से हमारा नुकसान होता है। जब मरे हुए पशु के चमड़े से बनी धौंकनी से लोहा जल जाता है तो जिंदा व्यक्ति की हाय क्या नहीं कर सकती? वह तो सतानेवाले का सर्वनाश ही कर देती है। इसलिए किसी गरीब को सताना नहीं चाहिए और उसकी हाय कभी नहीं लेनी चाहिए।

(3) रहिमन देखी बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।

जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि ॥

उत्तर : लोग बड़े लोगों के ठाट-बाट से प्रभावित होकर साधारण लोगों की उपेक्षा करने लगते हैं। रहीमजी कहते हैं कि बड़े लोगों से प्रभावित होकर सामान्य लोगों से मुँह मोड़ना अच्छा नहीं है। युद्ध में तलवार भले काम की हो, पर कपड़े सीने के लिए तो, छोटी सुई ही काम आती है। जो काम छोटे कर सकते हैं, वह बड़े नहीं कर सकते। इसलिए समाज में छोटों का भी महत्त्व है। हमें उनसे मुख नहीं मोड़ना चाहिए।

स्वाध्याय

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) साधु कैसा होना चाहिए?

उत्तर : साधु सूप जैसे स्वभाववाला होना चाहिए। सूप फटकते समय अच्छे अनाज को अपने पास रख लेता है और कचरे को बाहर फेंक देता है। उसी तरह साधु को सारयुक्त वस्तु ग्रहण करनी चाहिए और निस्सार वस्तु छोड़ देनी चाहिए।

(2) कबीरजी लालच को क्यों बुरी चीज कहते हैं?

उत्तर : लालच व्यक्ति की बुद्धि और उसके विवेक को नष्ट कर देता हैं। मक्खी लालच के कारण गुड़ पर बैठती है और उसमें फँस जाती है। फिर वह पछताती है, पर उसमें से निकल नहीं पाती। उसी तरह जो व्यक्ति लालच में पड़ता है, वह अंत में पछताता है। इसलिए कबीरजी लालच को बुरी चीज कहते हैं।

(3) तुलसीदासजी सबसे हिल-मिलकर रहने के लिए क्यों कहते हैं?

उत्तर : हिल-मिलकर रहने से आपस में प्रेमभाव बढ़ता है। किसीसे वैर-विरोध नहीं होता। सब एक-दूसरे को सहयोग देते हैं। तुलसीदासजी इसीलिए नदी और नाव के संयोग की तरह सबसे हिल-मिलकर रहने के लिए कहते हैं।

(4) ‘गरीब की हाय’ के लिए कौन-सा उदाहरण दिया गया है?

उत्तर : ‘गरीब की हाय’ के लिए लुहार की धौंकनी का उदाहरण दिया गया है। धौंकनी मरे हुए जानवर के चमड़े से बनती है। धौंकनी से निकली हुई हवा आग को तेज करती है। उससे लोहा भी भस्म हो जाता है। गरीब की हाय धौंकनी से निकली हुई हवा की तरह होती है। वह बद्दुआ बनकर हमारा सर्वनाश कर देती है।

(5) रहीम प्रेम का धागा तोड़ने से क्यों मना करते हैं?

उत्तर : प्रेम का धागा बहुत नाजुक होता है। उसे खींचने से वह टूट जाता है। धागा एक बार टूट जाने पर फिर वह जुड़ता नहीं। अगर जुड़ता भी है तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। उसमें पहले जैसे संबंध की मधुरता नहीं रहती। इसलिए रहीम प्रेम का धागा टूट न जाए, इसका ध्यान रखने के लिए कहते हैं।

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