Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 6 Swadhyay (ધોરણ 6 હિન્દી સેમ 2 એકમ 6 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 6 Swadhyay
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Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 6 Swadhyay. ધોરણ 6 સેમ 2 હિન્દી વિષયના એકમ 6 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 6 હિન્દી સેમ 2 એકમ 6 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 6

विषय : हिन्दी

एकम : 6. न्याय

सत्र : द्वितीय

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) अली ख्वाजा ने मोहरें तेल में क्यों छुपाई हाँगी?

उत्तर : तेल के रंग के कारण मोहरे दिखाई न पड़े, इसलिए अली खाजा ने मोहरे तेल में छुपाई होंगी।

(2) मित्र के साथ हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए?

उत्तर : मित्र के साथ सच्चाई और ईमानदारी से भरा व्यवहार करना चाहिए। मित्र के साथ हमें कभी छल-कपट और विश्वासघात नहीं करना चाहिए।

(3) वाजिद और हसन की जगह आप होते तो क्या करते?

उत्तर : वाजिद की जगह मैं होता तो अपने मित्र के साथ विश्वासघात न करता। अगर मैं हसन की जगह होता तो मैं भी उसीकी तरह घटना की पूरी छानबीन करता और युक्ति से अली ख्वाजा को न्याय दिलाता।

प्रश्न 2. नीचे लिखे संदर्भ में कहानी के पात्रों के संवाद कक्षा में बुलवाइए :

(1) अली ख्वाजा और वाजिद (जब अली ख्वाजा तेल का घड़ा रखने आया ।)

उत्तर :

वाजिद : आओ, आओ, अली भाई, कहिए, क्या बात है?

अली ख्वाजा : वाजिद भाई, बात यह है कि अल्लाह के शुक्र से मैं मक्का जा रहा हूँ। सारी तैयारी हो गई है। यह तैल से भरा घड़ा है। मैं चाहता हूँ कि इसे आप अपने यहाँ रख लें। जब मैं वापस आऊंगा, तब ले लूँगा।

वाजिद : हाँ, हाँ, कोई बात नहीं, यह लीजिए मेरे तहखाने की चाबी। वहाँ घड़ा रख आइए। जब लौटें तब, वहाँ से ले जाएँ।

अली ख्वाजा : शुक्रिया।

(2) अली ख्वाजा और वाजिद का झगड़ा।

उत्तर :

अली ख्वाजा : अरे वाजिदभाई, तेल के इस घड़े में मेरी पाँच सौ मोहरें थी, वे इसमें नहीं हैं।

वाजिद : अलीभाई, आप हमारे यहाँ तेल से भरा घड़ा रख गए थे। वह वैसे का वैसा आप वापस आकर ले गए। यह मोहरों की बात कहाँ से आ गई?

अली ख्वाजा : मोहरें घड़े के अंदर थीं। मैंने उनका जिक्र करने की जरूरत नहीं समझी। लेकिन अभी देखा तो उसमे तेल है, पर मोहरें नहीं हैं।

वाजिद : देखिए, आप तहखाने में जिस जगह जैसा घड़ा रख गए थे, वैसा आपको मिल गया। इसके सिवा मैं कुछ नहीं जानता।

अली ख्वाजा : उसमें मोहरें नहीं है, इसका मतलब आपने मोहरें चुरा ली हैं।

वाजिद : अली, एक तो मैंने आपका तेल रखा और ऊपर से चोरी का इल्जाम ! शर्म नहीं आती आपको?

अली ख्वाजा : शर्म तो तुमको आनी चाहिए, दोस्त और पड़ोसी के साथ धोखेबाजी करते हुए। मोहरें चुरा लीं और अब बड़े साहूकार बनते हो!

वाजिद : जो चीज थी ही नहीं, उसकी चोरी का सवाल ही पैदा नहीं होता। तुम्हारे इल्जाम लगाने से मैं चोर नहीं बन जाता।

प्रश्न 3. हसन ने क्या सूझ-बूझ दिखाई थी कक्षा में चर्चा कीजिए और लिखिए :

उत्तर :

शिक्षक : रमण, हसन ने वाजिद की चोरी पकड़ने के लिए क्या किया?

रमण : गुरुजी, वाजिद की चोरी पकड़ने के लिए हसन ने दो तेलियों को बुलाया।

शिक्षक : हसन ने तेलियों को क्यों बुलवाया?

दीपक : गुरुजी, तेली ही बता सकते थे कि घड़े में भरा तेल कितना पुराना है।

शिक्षक : तो तेलियों ने तेल के बारे में पता कैसे लगाया?

सौरभ : गुरुजी, तेलियों ने तेल को चखकर तथा सूंघकर बताया कि घड़े में भरा तेल दो महीने पुराना है। अली ख्वाजा छः महीने पहले गया था। उसका भरा हुआ तेल होता तो छः महीने पुराना होता। इसका अर्थ यह हुआ कि वाजिद ने पुराना तेल निकालकर नया तेल भरा था। पुराना तेल निकालने पर उसे मोहरें जरूर मिलीं होंगीं।

शिक्षक : इस तरह हसन ने बड़ी चतुराई से वाजिद की चोरी पकड़ ली।

स्वाध्याय

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) वाजिद को कैसे पता चला कि बर्तन में मोहरें है?

उत्तर : वाजिद जब घड़े की सील तोड़कर तेल निकालने लगा, तब घड़े से सिक्कों की आवाज़ आई। उसे लगा कि घड़े में तेल के नीचे कुछ है। इसलिए उसने सारा तेल दूसरे बर्तन में निकाल लिया। इस तरह वाजिद के बर्तन में मोहरों का पता चला।

(2) अली ख्वाजा और वाजिद के बीच झगड़ा क्यों हुआ?

उत्तर : वाजिद ने अली ख्वाजा के घड़े से तेल निकालने के साथ उसमें रखी मोहरें भी निकाल लीं। तेल तो उसने फिर से भर दिया पर मोहरें चुरा लीं। अली खाजा ने मक्का की यात्रा से लौटकर अपना घड़ा देखा तो उसमें मोहरें नहीं थीं। उसने मोहरों के बारे में वाजिद से पूछा तो वाजिद ने मोहरें चुराने से साफ इन्कार किया। इसलिए उन दोनों के बीच झगड़ा हुआ।

(3) खलीफा ने हसन को अपने दरबार में क्यों बुलाया?

उत्तर : एक दिन खलीफा अपना भेष बदलकर शहर में घूम रहे थे। एक जगह उन्होंने कुछ लड़को को ‘न्यायालय का खेल खेलते हुए देखा। वे छिपकर उनका खेल देखने लगे। जो लड़का न्यायाधीश बना था, उसकी समझदारी और निर्णय करने की पद्धति उन्हें बहुत अच्छी लगी। उन्हें लगा कि अली ख्वाजा और वाजिद के झगड़े को यह लड़का सुलझा सकता है। इसलिए उन्होंने हसन को अपने दरबार में बुलाया।

 (4) तेलियों की बात सुनकर वाजिद क्यों घबराया?

उत्तर : तेलियों ने घड़े के तेल को देख, चख और सूँघकर बताया कि वह दो महीने पुराना है। अली ख्वाजा ने घड़े में छः महीने पहले तेल भरा था। इससे साबित हो गया कि वाजिद ने अली का तेल निकालकर बाद में उसमें दूसरा तेल भरा। पुराना तेल निकालने पर उसे घड़े में रखी मोहरें जरूर मिली होंगी। तेलियों की बात सुनकर अली को लगा कि उसकी चोरी पकड़ी जाएगी, इसलिए वह घबरा गया।

(5) तेलियों ने कैसे सच्चा निर्णय किया?

उत्तर : तेलियों को तेल की अच्छी परख थी। कौन-सा तेल कितने समय का है, इसे वे आसानी से बता सकते थे। उन्होंने घड़े के तेल को देखा, सूँघा और चखा। उन्होंने बताया कि घड़े का तेल दो महीने से ज्यादा पुराना नहीं है। इस प्रकार, तेल की गंध और स्वाद की पहचान कर तेलियों ने घड़े के तेल के बारे में सच्चा निर्णय किया।

(6) वास्तविकता जानने पर खलीफा ने क्या निर्णय किया?

उत्तर : हसन की सूझबूझ से तेल के बारे में वास्तविकता का पता चल गया। इससे खलीफा को न्याय के लिए सबूत मिल गया। उन्होंने वाजिद को अली ख्वाजा की मोहरें वापस करने का आदेश दिया। इसके साथ ही उन्होंने विश्वासघात के अपराध के लिए वाजिद को सजा सुनाई। खलीफा ने बुद्धिमान हसन को बहुत-सा पुरस्कार दिया।

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्य कौन किसे कहता है, लिखिए :

(1) “यह तेल का घड़ा मैं आपके घर रखकर जाना चाहता हूँ।

उत्तर : अली ख्वाजा वाजिद से कहता है।

(2) “आप अपना घड़ा तहखाने में रख आइए।’

उत्तर : वाजिद अली ख्वाजा से कहता है।

(3) “आप काजी की अदालत में जाइए।’

उत्तर : लोग अली ख्वाजा से कहते हैं।

(4) “आप इस घड़े की जाँच कीजिए।”

उत्तर : हसन तेलियों से कहता है।

(5) “हुजूर, मैं तो छ: महीने पहले मक्का की यात्रा करने गया था।”

उत्तर : अली ख्वाजा खलीफा से कहता है।

प्रश्न 3. (क) आपने किए हुए प्रवास का वर्णन करते हुए मित्र को पत्र लिखिए :

15, आनंदनिवास,

कालबादेवी रोड,

मुंबई – 400 002 |

24 दिसंबर, 2012

प्रिय मित्र शैलेश,

सप्रेम नमस्कार ।

कल ही मुझे तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारी दीदी की सगाई की खबर पढ़कर बहुत खुशी हुई।

पिछले रविवार को हम कुछ मित्रों ने एक प्रवास का आयोजन किया था। सुबह नौ बजे हम सब मित्र गेट वे ऑफ इंडिया पहुँच गए। वहाँ एक मोटर बोट में बैठकर हम एलिफेंटा के लिए चल दिए। ठंडी-ठंडी हवा की लहरों ने हमारे तन-मन को पुलकित कर दिया। लगभग एक घंटे की जलयात्रा के बाद हम एलिफेंटा पहुँचे।

एलिफेंटा का वास्तविक नाम धारापुरी है। हमने वहाँ की प्राचीन गुफाएँ देखीं। गुफाओं में बुद्ध की प्रतिमाएँ हैं। एक गुफा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति है। उसने हम सबका मन मोह लिया। हमने वहाँ के एक होटल में खाना खाया। कुछ समय हमने विश्राम करने और खेलने में बिताया। शाम को पाँच बजे हम मुंबई लौट आए।

हमारा यह एक दिवसीय पर्यटन बहुत ही मजेदार रहा। उसकी याद आज भी हमारे मन को प्रसन्न कर देती है।

अपने मातापिता से मेरा प्रणाम कहना। शीला दीदी को बधाई।

तुम्हारा मित्र,

सुरेश

प्रश्न 3. (ख) क्या तुम्हारे साथ भी कभी कोई ऐसी घटना घटी है कि तुम्हें न्याय के लिए किसी के पास जाना पड़ा हो? उस घटना को विस्तार से लिखिए।

उत्तर : एक बार में अपनी छोटी बहन मीनल के साथ मेले में गया था। मेला हमारी गली में ही लगा था। माँ ने हम दोनों को दस-दस रुपये दिए थे। मेरे बटुए में दस रुपये का एक नोट पहले से पड़ा था। यह दस का नोट मिलने पर दस रुपये के दो नोट अर्थात् बीस रुपये हो गए।

मेले में हमने दस-दस रुपये की कुल्फी खाई। मैंने अपना बटुआ खोला और उसमें से एक दस का नोट निकालकर कुल्फीवाले को दे दिया। मीनल ने अपना बटुआ खोला तो वह खाली था। उसने मेरे बटुए में पड़ा नोट देख लिया था। उसे लगा कि मैंने उसका दस रुपये का नोट ले लिया है, नहीं तो मेरे पास दो नोट कहाँ से आए?

अपने बटुए में नोट न देखकर मीनल रुआँसी हो गई। बोली, “लगता हैं, मेरा नोट तूने ले लिया है। अब मैं कुल्फी का पैसा कहाँ से दूँ?” मैंने उसे समझाया कि दूसरा दस रुपये का नोट मेरे बटुए में पहले से है, पर वह न मानी और मुझे झूठा बताने लगी। मैंने अपने बटुए से नोट कुल्फीवाले को दिया और मीनल को लेकर माँ के पास आया।”

मैंने माँ से कहा, “माँ, देखो मीनल मुझे झूठा कह रही है। आपने जो दस का नोट दिया था, वह इसने कहीं गिरा दिया। अब अपनी गलती के लिए मुझे दोष दे रही है। माँ, अब तू ही इसको समझा।“

मीनल अभी भी रो रही थी और मुझे झूठा साबित कर रही थीं। माँ ने उससे कहा, “अरी पगली, टेबल पर देख, वह क्या पड़ा है। ” माँ का दिया हुआ नोट मीनल टेबल पर ही भूल गई थी। वह नोट उसने बटुए में डाला ही नहीं था, तो मिलता कैसे !

अब मीनल को अपनी भूल का पता चला। उसने मुझसे क्षमा माँगी।

प्रश्न 3. (ग) कहानी की प्रमुख घटनाओं को इस क्रम में लिखो कि पूरी कहानी स्पष्ट हो सके, जैसे-

ईराक में व्यापारी अली ख्वाजा के पास एक हजार सोने की मोहरें इकट्ठा होना ।

उत्तर :

(1) पाँच सौ मोहरों को तेल से भरे घड़े में रखना।

(2) उस घड़े को मित्र वाजिद के तहखाने में रख आना और मक्का की यात्रा पर निकल जाना।

(3) जरूरत पड़ने पर वाजिद द्वारा घड़े में से तेल निकालना और मोहरों को चुरा लेना ।

(4) अली ख्वाजा और वाजिद में झगड़ा । खलीफा से न्याय माँगना।

(5) खलीफा का भेष बदलकर नगर में निकलना और हसन का मिलना।

(6) हसन द्वारा तेलियों को बुलाना और मोहरों की चोरी का पता चलना।

(7) अली ख्वाजा को मोहरें वापस मिलना, वाजिद को सजा।

प्रश्न 4. निम्नांकित कहानी के चित्र एवं वाक्य उलट-पुलटकर दिए गए हैं, उसको पढ़कर कहानी का निर्माण कीजिए और उचित शीर्षक दीजिए :

नोंध : उलट-पुलट वाक्यों तथा चित्रों के लिए पाठ्यपुस्तक देखें।

Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 6 Swadhyay
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उत्तर :

शेर और चूहा।

एक दिन जंगल में एक शेर आराम से सो रहा था। शेर जहाँ सो रहा था, उसके पास एक बिल था, जिसमें एक चूहा रहता था।

शेर को सोया हुआ देखकर चूहा उसके पास गया। वह शेर के शरीर पर चढ़ा और नाचने लगा।

शेर की नींद खुल गई और उसने गुस्से से चूहे को पंजे में पकड़ लिया। चूहा रोते-रोते बोला, “कृपा करके मुझे छोड दो, (किसी दिन) तुम्हारी मदद करूंगा।”

एक दिन एक शिकारी जंगल में शिकार करने आया। उसने सिंह का शिकार करने के लिए जाल बिछाई।

जाल में फँसते ही शेर दहाड़ने लगा। उसकी दहाड़ सुनकर चूहा वहाँ आया। शेर को जाल में फँसा देखकर वह अपने साथियों को बुला लाया। उन्होंने जाल काट डाला और शेर को जाल से छुड़ाया।

इस तरह चूहे ने शेर को शिकारी से बचाया । उस दिन से शेर और चूहा मित्र बन गए और साथ में खेलने लगे।

शीर्षक : (1) शेर और चूहा। (2) छोटे भी बड़ों के काम आते हैं।

प्रश्न 5. निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियावाचक शब्द ढूँढ़कर उदाहरण अनुसार फिर से लिखिए :

उदाहरण :

राधा ने संजीव को पत्र लिखा।

राधा ने किसको पत्र लिखा?

(1) अध्यापक ने बच्चों को कहानी सुनाई।

क्रियावाचक शब्द : सुनाई

वाक्य : बच्चों को कहानी किसने सुनाई?

(2) रात को कुत्ते भौंक रहे थे।

क्रियावाचक शब्द : भौंक रहे थे

वाक्य : कुत्ते कब भौंक रहे थे?

(3) वह पटाखे देख रहा है।

क्रियावाचक शब्द : देख रहा है

वाक्य : वह क्या देख रहा है?

(4) वेदांत किताब पढ़ रहा था।

क्रियावाचक शब्द : पढ़ रहा था

वाक्य : कौन किताब पढ़ रहा था?

(5) पता नहीं तन्मय मेरे पास से चला गया।

क्रियावाचक शब्द : चला गया

वाक्य : तन्मय मेरे पास से कब चला गया?

(6) आकाश में पतंग उड़ रही थी।

क्रियावाचक शब्द : उड़ रही थी

वाक्य : पतंग कहाँ उड़ रही थी?

प्रश्न 6. कहानी पढ़िए, उचित शीर्षक दीजिए एवं चर्चा करके प्रश्नों का निर्माण कीजिए तथा उत्तर लिखिए :

एक बार राजा कृष्णदेवराय के महल में एक सेवक काँच का खूबसूरत मोर साफ कर रहा था। गलती से उसके हाथ से मोर गिरकर टूट गया। राजा को वह मोर बहुत प्रिय था। जब राजा महल में आए, उन्हें अपना प्रिय मोर दिखाई न दिया। पूछने पर पता चला कि वह टूट गया है। क्रोध में आकर उन्होंने सेवक को छ: महीने के लिए कारागार में डलवा दिया।

कुछ दिनों बाद राजा कृष्णदेवराय, मंत्री तेनालीराम और दूसरे दरबारियों के साथ उद्यान में घूमने निकले। तेनालीराम बोले, “महाराज, पास ही बाल उद्यान है। उसे भी देखते चलें ।”

राजा कृष्णदेवराय बाल उद्यान की ओर आए। उद्यान में तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। एक स्थान पर बच्चे नाटक खेल रहे थे। एक बच्चा राजा बना हुआ था। उसके सामने दो सिपाही एक अपराधी को पकड़कर खड़े थे। खेत के मालिक ने शिकायत की, “महाराज, आज यह मेरे खेत से गाजर और मूली उखाड़कर ले गया।” सुनकर राजा बने बच्चे ने चोरी करनेवाले से पूछा। उसने गलती मान ली तब वह बोला, “ठीक है, तुम्हें माफी दी जाती है। पर ध्यान रखना कि दोबारा यह गलती न हो। ” फिर खेत के मालिक से कहा, “तुम्हारे नुकसान की भरपाई शाही खज़ाने से की जाएगी पर पहली गलती पर भला हम कैसे सजा दें।”

नाटक देखने के बाद मंत्री ने कहा, “महाराज, यह बच्चा तो बड़ा शरारती है। उसे सज़ा मिलनी चाहिए।” तेनालीराम बोले, “हाँ महाराज, मेरे विचार से सज़ा यही हो कि इसे राज दरबार में बुलाकर यह नाटक फिर से दोहराने को कहा जाए।”

नाटक देखकर राजा कृष्णदेवराय सोच में पड़ गए। तेनालीराम की चतुराई पर वे मन-ही-मन मुस्कुरा उठे। यह देखकर मंत्री असमंजस में पड़ गए। उसके बाद राजा कृष्णदेवराय बोले, “सचमुच तेनालीराम, तुमने ठीक कहा। आज मैं समझा कि न्याय करते समय राजा का मन बच्चे जैसा निर्मल होना चाहिए।”

अगले दिन राजा ने उस सेवक को रिहा करवा दिया।

तेनालीराम की चतुराई

(1) सेवक से कौन-सा अपराध हुआ?

उत्तर : सेवक से राजा का प्रिय काँच का मोर टूट गया था।

(2) राजा ने सेवक को क्या सजा दी?

उत्तर : राजा ने सेवक को छ: महीने के लिए कारागार में डलवा दिया।

(3) बाल उद्यान में क्या हो रहा था?

उत्तर : बाल उद्यान में बच्चे नाटक खेल रहे थे।

(4) तेनालीराम राजा कृष्णदेवराय को बाल उद्यान में क्यों ले गए?

उत्तर : तेनालीराम राजा कृष्णदेवराय को बाल उद्यान में ले गए, क्योंकि वे उन्हें यह समझाना चाहते थे कि न्याय करते समय राजा का मन बालक जैसा निर्मल होना चाहिए।

(5) तेनालीराम बालक को कौन-सी सजा दिलाना चाहते थे?

उत्तर : तेनालीराम बालक को यह सजा दिलाना चाहते थे कि उद्यान में किए गए नाटक को वह दरबार में दोहराए ।

(6) न्याय करते समय राजा का मन कैसा होना चाहिए?

उत्तर : न्याय करते समय राजा का मन बच्चे जैसा निर्मल होना चाहिए।

(7) राजा ने सेवक को क्यों रिहा कर दिया?

उत्तर : राजा ने सेवक को रिहा कर दिया, क्योंकि उसने पहली बार यह मामूली अपराध किया था।

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