Class 7 Hindi Sem 1 Chapter 6 Swadhyay (ધોરણ 7 હિન્દી સેમ 1 એકમ 6 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

Class 7 Hindi Sem 1 Chapter 6 Swadhyay
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Class 7 Hindi Sem 1 Chapter 6 Swadhyay. ધોરણ 7 સેમ 1 હિન્દી વિષયના એકમ 6 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 7 હિન્દી સેમ 1 એકમ 6 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 7

विषय : हिन्दी

एकम : 6. डॉ. विक्रम साराभाई  

सत्र : प्रथम

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों की मौखिक चर्चा कीजिए :

(1) विक्रम साराभाई ने खुद अपने नाम चिट्ठियाँ क्यों लिखी होंगी?

उत्तर :

शिक्षक : (विद्यार्थी से) तुम कैसे कह सकते हो कि व्यक्ति में बड़ा बनने की इच्छा बचपन से ही होती है?

विद्यार्थी : गुरुजी, कहते हैं कि बच्चों के लक्षण पालने से ही दिखाई देते हैं। विक्रम साराभाई को ही लीजिए। उनमें प्रसिद्ध होने की इच्छा बचपन से ही जाग उठी थी।

शिक्षक : वह कैसे?

विद्यार्थी : पाँच-छ: वर्ष की उम्र में उन्होंने देखा कि उनके पिता के नाम रोज बहुत सारे पत्र आते हैं। उन्होंने सोचा कितना अच्छा हो अगर मेरे नाम भी अनेक पत्र आएँ!

शिक्षक : परंतु उनके नाम पत्र आते कैसे?

विद्यार्थी : यही तो बात थी। बालक विक्रम को भी पता था कि उनके नाम पत्र आनेवाले नहीं हैं। तब उन्होंने खुद ही पिताजी के नाम आए कई लिफाफों पर अपना नाम लिखा और वे लिफाफे डाकघर में डाल आए। इस तरह उनके नाम पर भी अनेक चिट्ठियाँ आने लगीं।

शिक्षक : सचमुच, यह घटना भविष्य में उनके महान व्यक्ति बनने की सूचक थी।

(2) विक्रम साराभाई साइकिल पर विभिन्न कलाबाजियाँ करते थे। इस तरह आपको क्या करना पसंद है?

उत्तर : मुझे छोटी-छोटी कविताएँ बनाकर उन्हें गाना पसंद है। चुनाव के समय अपनी मनपसंद पार्टी के पक्ष में ट्रक पर सवार होकर प्रचार करना मुझे अच्छा लगता है। मैं जोशीले नारे लगाता हूँ, कविता में उस पार्टी की विशेषताएँ और उपलब्धियाँ उजागर करता हूँ। मेरे इस शौक के पीछे मेरा कैसा भविष्य छिपा है, यह मैं नहीं जानता।

प्रश्न 2. इस पाठ को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए विक्रम साराभाई के बचपन की घटना अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : विक्रम साराभाई की उम्र उस समय पाँच-छ: वर्ष की होगी। उनका परिवार घूमने-फिरने शिमला गया था। विक्रम के पिता अम्बालाल एक बड़े उद्योगपति थे। इसलिए उनके नाम प्रतिदिन ढेरों पत्र आते थे। बालक विक्रम के मन में इच्छा हुई कि उसके नाम भी रोज बहुत सारे पत्र आएँ। उसने बहुत से लिफाफों पर अपना नाम तथा पता लिखा और उन्हें पोस्टऑफिस में डाल आया। अब विक्रम के नाम भी खूब चिट्ठियाँ आने लगीं।

इस घटना से इस महान वैज्ञानिक के बुलंद इरादों की झलक बचपन में ही मिल जाती है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शिक्षक छात्र से पूछेंगे और छात्र शब्दकोश से अर्थ ढूँढ़कर उत्तर देने के लिए अपना हाथ खड़ा करेंगे।

(गाथा, प्रतीक, विक्रम, तत्पश्चात्, कैंब्रिज, भौतिक, अंतरिक्ष, प्रयोगशाला, इंटरनेशनल, मृत्यु, ऊर्जा, युवा, उत्कृष्ट, स्मारक, पुरस्कार, हवाई)

उत्तर :

गाथा = कथा

प्रतीक = चिह्न

विक्रम = वीरता

तत्पश्चात् = उसके बाद

कैंब्रिज = इंग्लैंड का एक विश्वविद्यालय

भौतिक = सांसारिक

अंतरिक्ष = आकाश

प्रयोगशाला = वह स्थान जहाँ विज्ञानसंबंधी प्रयोग किए जाते हैं

इंटरनेशनल = अन्तरराष्ट्रीय

मृत्यु = मरण

ऊर्जा = शक्ति

युवा = युवक

उत्कृष्ट = श्रेष्ठ

स्मारक = स्मृति चिह्न

पुरस्कार = इनाम

हवाई = काल्पनिक, हवा से संबंधित

प्रश्न 4. ‘शब्दार्थ’ में निर्देशित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

(इरादा, लिफाफा, ढेरों, लैस, अनुसंधान, उपाधि)

उत्तर :

(1) इरादा = हमारा इरादा हमेशा बुलंद होना चाहिए।

(2) लिफाफा = लिफाफे के ऊपर पिताजी का नाम है।

(3) ढेरों = दीपावली पर ढेरों मिठाइयाँ बिकती हैं।

(4) लैस = हमारी पाठशाला में वैज्ञानिक उपकरणों से लैस एक प्रयोगशाला है।

(5) अनुसंधान = वैज्ञानिक अनुसंधान में लगे रहते हैं।

(6) उपाधि = मैं ‘भारतरत्न’ की उपाधि पाना चाहता हूँ।

प्रश्न 5. दूरदर्शन (टी.वी.) देखना लाभदायी है या हानिकारक? क्यों? कारण सहित तर्क दीजिए।

उत्तर : आज घर-घर में दूरदर्शन आ गया है। अपनी लोकप्रियता के कारण वह हर परिवार के लिए अनिवार्य बन गया है।

प्रत्येक वस्तु से कुछ लाभ के साथ कुछ हानियाँ भी होती ही हैं। परंतु दूरदर्शन तो लाभों का खजाना है। यह हमें देश-विदेश में होनेवाली घटनाओं की जानकारी देता है। उन घटनाओं के जीवंत दृश्य भी दिखाता है। बाढ़, अकाल, भूकंप आदि से होनेवाले नुकसान दूरदर्शन पर देखकर हमारी मानवता जाग उठती है।

दूरदर्शन तरह-तरह से हमारा मनोरंजन करता है। फिल्में, धारावाहिक, नाटक आदि के द्वारा यह हमें आनंद देता है। देशभक्ति, समाज-सुधार आदि के कार्यक्रम दिखाकर दूरदर्शन समाज में जागृति पैदा करता है। दूरदर्शन पर क्रिकेट, फुटबाल

और टेनिस के मैच देखकर हमारी खुशी का पार नहीं रहता। टी.वी. के ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसे कार्यक्रमों ने सबका दिल जीत लिया है।

परंतु टी.वी. देखने से बच्चों की पढ़ाई में बाधा पड़ती है। खेल-कूद छोड़कर टी.वी. से चिपके रहने के कारण उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। जो चश्मा पहले बुढ़ापे में आता था, वह अधिक टी.वी. देखने से बचपन में ही आ जाता है। टी.वी. के कारण हमारा आपसी मेल-जोल कम हो गया है और हमारे हरे-भरे रिश्ते सूखने लगे हैं। क्रिकेट मेच जैसे कार्यक्रमों में हमारा कितना समय बरबाद हो जाता है, इसका कोई हिसाब नहीं। वास्तव में हमें टी.वी. का उपयोग सीमित करना चाहिए।

स्वाध्याय

प्रश्न 1. कोष्ठक में दिए शब्दों को उदाहरण के अनुसार बल्ले पर इस तरह रखो जिससे अर्थपूर्ण वाक्य बने :

(कलाबाजियाँ, बालक, है, लोकविज्ञान, होकर, यशस्वी, अनुसंधान, करते, किया, वो, दिया, योगदान, में, गठन, बड़ा, के, पर, विकास, अहमदाबाद, भारतीय, की, केन्द्र, का)

उदाहरण : भारतीय अनुसंधान केन्द्र का गठन किया।

उत्तर : (1) विक्रम साइकिल पर कलाबाजियाँ करते थे।

(2) यह बालक बड़ा होकर यशस्वी बनेगा।

(3) उनके प्रयासों से अहमदाबाद में लोकविज्ञान केन्द्र की स्थापना हुई है।

(4) डॉ. विक्रम ने भारत के विकास में उत्कृष्ट योगदान दिया।

प्रश्न 2. निम्नलिखित एकवचन शब्दों का बहुवचन बनाकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

लड़का, किताब, नदी, नारी, माली

उत्तर :

(1) लड़का-लड़के

वाक्य-प्रयोग = लड़के मैदान में खेल रहे हैं।

(2) किताब – किताबें

वाक्य-प्रयोग = मैंने दो किताबें खरीदीं।

(3) नदी – नदियाँ

वाक्य-प्रयोग = नदियाँ हमें पानी देती हैं।

(4) नारी – नारियाँ

वाक्य-प्रयोग = नारियाँ मधुर गीत गा रही हैं।

(5) माली – माली

वाक्य-प्रयोग = माली पौधों से फूल तोड़ रहे हैं।

प्रश्न 3. निम्नलिखित परिच्छेद का मातृभाषा में अनुवाद कीजिए :

वह केवल उच्च कोटि के वैज्ञानिक ही नहीं थे, बल्कि व्यस्तताओं के बावजूद कला, शिक्षा व समाज के लिए पर्याप्त समय निकाल लेते थे। उनके ही प्रयासों से अहमदाबाद में लोकविज्ञान केन्द्र एवं नेहरु विकास संस्थान की स्थापना हुई, यहाँ वह जन सामान्य की विज्ञान के प्रति रुचि जागृत करने के लिए कार्य करते रहे।

ઉત્તર : તેઓ ફક્ત ઉચ્ચકોટિના વૈજ્ઞાનિક જ નહોતા, પરંતુ કામમાં વ્યસ્ત રહેવા છતાં કલા, શિક્ષણ તથા સમાજને માટે પૂરતો સમય કાઢી લેતા હતા. તેમના જ પ્રયત્નોને લીધે અમદાવાદમાં લોકવિજ્ઞાન કેન્દ્ર અને નેહરુ વિકાસ સંસ્થાનની સ્થાપના થઈ. અહીં તેઓ સામાન્ય માણસની વિજ્ઞાન પ્રત્યે રુચિ જાગ્રત કરવા માટે કાર્ય કરતા રહ્યા.

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